इतिहास प्रभाग

इतिहास प्रभाग

पहले ऐतिहासिक अनुभाग के रूप में जाने जाने वाले इतिहास प्रभाग की स्‍थापना 26 अक्‍तूबर,1953 को स्‍वतंत्रता के समय से भारतीय सशस्‍त्र बलों द्वारा चलाए गए सैन्‍य आपरेशनों के इतिहास को संकलित करने हेतु की गई थी । आज तक इसने जम्‍मू तथा कश्‍मीर में आपरेशनों का इतिहास 1947-48, आपरेशन पोलो, आपरेशन विजय (गोवा), भारत के सैन्‍य परिधान, वीरता की कहानियां, 1965 का भारत पाक युद्ध एक इतिहास, आदि सहित 20 खंड संकलित व प्रकाशित किए हैं । संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ शांति स्‍थापना मिशनों में भारतीय सशस्‍त्र सेनाओं द्वारा चलाए गए ऑपरेशनों को भी संकलित किया गया है और इनमें कांगों में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ऑपरेशनों में भारतीय सशस्‍त्र सेनाओं का इतिहास, सीएफआई अथवा कोरिया में भारतीय सैनिक 1953-54, ऑपरेशन शांति (भारतीय सैनिक मिश्र में) और वृहद जिम्‍मेदारी (इंडो-चाइना में शांति के लिए लड़ाई) शामिल है । कुछ प्रकाशन हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रकाशित किए गए हैं । इस समय, यह प्रभाग वीरता की कहानियां भाग ।।। तथा भारत के युद्ध स्‍मारक शीर्षक वाली पुस्‍तकों पर काम कर रहा है ।

इतिहास प्रभाग, रक्षा मंत्रालय और भारतीय सशस्‍त्र सेनाओं के अनुसंधान, अभिलेख और संदर्भ कार्यालय के रूप में भी कार्य करता है। इसे रक्षा मंत्रालय, तीनों सेना मुख्‍यालयों और विभिन्‍न यूनिटों से सैन्‍य मामलों से संबंधित विविध अभिलेख और संक्रियात्‍मक अभिलेख नियमित आधार पर संरक्षण तथा इस्‍तेमाल के लिए प्राप्‍त होते हैं । यह प्रभाग इस समय अभिलेखों का डिजिटाइजेशन करने में लगा हुआ है ।

यह प्रभाग एक शिक्षावृत्‍ति योजना भी चलाता है जिसके तहत सैन्‍य इतिहास में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रत्‍येक तीन वर्ष में दो शिक्षावृत्‍तियां प्रदान की जाती हैं । अब तक सत्रह अनुसंधाताओं को इस योजना से लाभ मिला है ।

इस प्रभाग का हेराल्‍डिक प्रकोष्‍ठ तीनों सेना मुख्‍यालयों ओर रक्षा मंत्रालय को समारोह संबंधी सभी मामलों जैसे नई स्‍थापनाओं के नामकरण और अधिग्रहण, बैजों और कलगियों का डिजाइन बनाने और स्मृति चिन्‍हों के निर्माण में सहायता प्रदान करता है ।

विभागीय पुस्‍तकालय में कुछ दुर्लभ पुस्‍तकें, आवधिक पत्रिकाएं और सैन्‍य महत्‍व के विदेशी प्रकाशनों सहित पांच हजार से अधिक पुस्‍तकें हैं । पुस्‍तकालय में पुस्‍तकों की उपलब्‍धता की जानकारी के लिए पुस्‍तक-सूची को डिजिटाइज करने का भी प्रयास किया जा रहा है ।

नोटः स्रोत-वार्षिक रिपोर्ट 2011-12